
Monday Mar 30, 2020
Kahin Door Jab Din Dhal Jaye
कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आए मेरे ख़यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आए कभी यूँहीं, जब हुईं, बोझल साँसें भर आई बैठे बैठे, जब यूँ ही आँखें कभी यूँहीं, जब हुईं, बोझल साँसें भर आई बैठे बैठे, जब यूँ ही आँखें तभी मचल के, प्यार से चल के छुए कोई मुझे पर नज़र न आए, नज़र न आए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आए कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते कहीं से निकल आए, जनमों के नाते कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते कहीं से निकल आए, जनमों के नाते घनी थी उलझन, बैरी अपना मन अपना ही होके सहे दर्द पराये, दर्द पराये कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आए (...) दिल जाने, मेरे सारे, भेद ये गहरे खो गए कैसे मेरे, सपने सुनहरे दिल जाने, मेरे सारे, भेद ये गहरे खो गए कैसे मेरे, सपने सुनहरे ये मेरे सपने, यही तो हैं अपने मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साये, इनके ये साये कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आए मेरे ख़यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आए --- This episode is sponsored by · Anchor: The easiest way to make a podcast. //anchor.fm/app --- Send in a voice message: //anchor.fm/theabbie/message Support this podcast: //anchor.fm/theabbie/support
No comments yet. Be the first to say something!