Thursday Apr 02, 2020

Chand Si Mehbooba Ho Meri

चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था ना कसमें हैं ना रस्में हैं ना शिकवे हैं ना वादे हैं ना कसमें हैं ना रस्में हैं ना शिकवे हैं ना वादे हैं इक सूरत भोली-भाली है दो नैना सीधे-सादे हैं दो नैना सीधे-सादे हैं ऐसा ही रूप खयालों में था जैसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था मेरी खुशियाँ ही ना बाँटे मेरे ग़म भी सहना चाहे मेरी खुशियाँ ही ना बाँटे मेरे ग़म भी सहना चाहे देखे ना ख्वाब वो महलों के मेरे दिल में रहना चाहे मेरे दिल में रहना चाहे इस दुनिया में कौन था ऐसा जैसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था --- This episode is sponsored by · Anchor: The easiest way to make a podcast. //anchor.fm/app --- Send in a voice message: //anchor.fm/theabbie/message Support this podcast: //anchor.fm/theabbie/support

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